Wednesday, 1 February 2012

संवेदनहीनता की ठिठुरन

एक  झांकी ने उस शहर के चेहरे से ऐसा पानी उतारा कि हर संवेदनशील बाशिंदा चुल्लूभर पानी की तलाश में छुपता छुपाता शर्म से पानी पानी हुए जा रहा है. वैसे भी  पानी के मामले में वह  शहर दूसरे शहरों की ओर याचक दृष्टि से हमेशा से देखता रहा है. लेकिन इस देखा-देखी के बावजूद यह दिन...