Friday, 23 September 2011

हाशिये पर

सत्य और कथा ...दो अलग पाट हैं जीवन के अनुमान का जल न सत्य को उद्भाषित कर पाता हैन कथा के मूल को ... !लकड़ी की नाव से इस किनारे से उस किनारे तक जाने के मध्य जीवन भी है और मृत्यु भी... न जीवन का वक़्त है न मृत्यु का तुम्हारी जिजीविषा तुम्हारी चाह नदी के दोनों पाट पर महल तो खड़े करते हैं पर महलों...

मुमकिन है क्या ?

राजा भागीरथ की 5500 वर्षों की तपस्या नेमुझे पृथ्वी पर आने को विवश किया मेरे उद्दात वेग को शिव ने अपनी जटा में लिया और मैं गंगा पृथ्वी पर पाप के विनाश के लिए आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण अर्पण की परम्परा लिए उतरी ... पृथ्वी पर पाप का वीभत्स रूप शनैः शनैः बढ़ता गया ...किसी की हत्या , किसी की...

मैं नन्हा गाँधी

मैं नन्हा गाँधीइस बार कोई सत्याग्रह नहीं करूँगाअपनी पदयात्रा भी अकेले करूँगा...... परायों से युद्ध जटिल होकर भीआसान थापर अपने घर में !!!बालसुलभ हठ हर उम्र में एक सुख देता हैपर जब अपने षड़यंत्र करते हैंएक दूजे को नीचा दिखाने काहर संभव प्रयास करते हैंतो भूख यूँ ही मर जाती है ...फिर कैसा अनशन...

ज़िन्दगी से मुलाकात

कल मेरे अनमने मन की मुलाकात ज़िन्दगी से हुईसुसज्जित पुष्प आवरण में खुशबू से आच्छादित अप्रतिम सौन्दर्य लिए ....सौन्दर्य ने मन की दशा ही परिवर्तित कर दी लगा - बसंत तो कहीं गया ही नहीं है !मुस्कुराती ज़िन्दगी की चपल आँखों ने कहा ,कुछ कहना है या पूछना है .... मन ने ज़िन्दगी की आँखों में गोते लगाए...

सिर्फ अपना !!!

हकीकत... अक्सर खौफज़दा मोड़ से गुजरती है क्योंकि उस मोड़ पे सिर्फ हम नहीं होते बिना हमारे चाहे नाम अनाम कई लोग शुभचिंतक की लिबास में मोड़ का निर्माण करते हैं खुद को बेहतर बताने के क्रम में पूरी हकीकत स्तब्द्ध बना देते हैं ... वजूद के चीथड़े उड़ जाते हैं सवालों के पोस्टमार्टम से घर शमशान सा...

नई कोपलों के निशां फिर कल को दुहराएंगे

कल सारी रात दर्द से निर्विकार ...(जाने किसका दर्द था) ! जागती रही दर्द था या बेचैनी - पता नहीं ...... जो भी हो -उस दर्द को चकमा देकर मैंने कुछ खरीदारी की ! .....सपनों के बंजर खेत ख़रीदे ...(बंजर थे तो कीमत कम लगी )सौदा मेरे पास संचित रकम के अनुसार हुआ !प्यार के ऐतिहासिक बीज भी सस्ती कीमत में...

गांठ नहीं खुलती ...

गुत्थियां सुलझती ही नहींइतनी गांठें हैं , इतनी कसीकि खोलते खोलते उंगलियाँ दुखने लगी हैं कहीं कहीं से छिल भी गई हैं .......................शुरू से मुझे इन गुत्थियों से डर लगता रहा है शायद इसीलिए गुत्थियां मेरा पीछा करती हैं ताकि एक दिन मेरा डर ख़त्म हो जाए मैं अपनी उँगलियों का ख्याल करने लगूँ...

रात की झिड़कियां

जब जब मैं हठी की तरह सोती नहींकरवटें बदलती हूँ यादों की सांकलें खटखटाती हूँ -चिड़िया घोंसले से झांकती है चाँद खिड़की से लगकर निहारता है हवाओं की साँसें थम जाती हैं माथे पर बल देकर रात कहती है 'सांकलों पर रहम करो यादों पर अपनी पकड़ ढीली करोपीछे कुछ भी नहीं ....दिल पर जोर न पड़े आँखों के नीचे स्याह...

खुदा साथ चलने लगा

अपने चारों तरफजाने अनजानेअनगिनत पगडंडियाँ बनामैं प्रश्नों की भूलभुलैया से गुजरती रही ...खून रिसने का खौफ नहीं हुआना ही थकी चक्कर लगाते लगातेचेहरे की रौनक ख़त्म हो गईपर हौसलों की आग सुलगती रही ...... धैर्य की एक हद होती है - सुना थातो हदों से आगेमैंने पगडंडियों से दोस्ती कर लीक्योंकि हार मानना मेरी...

BackTrack 5R1 released

After months of working, finally BackTrack 5R1 is now released to public. According to the announcement, this version uses Linux Kernel 2.6.39.4 and it has gained 30 new tools on this release along with regular 120 bug fixes and 70 tool updates. There are several flavours available for you to download:...

Window 8 Features New Blue Screen Of Death

Looks like the new Windows OS has new blue screen of death. Windows 8 Blue Screen of Death replaces crash details with a sad face. It is still blue in color but does not have lots of text details which you could see in other windows OS.In the photo below you can see the blue screen with sad face...